आजकल NATO का बहुत ज़िक्र हो रहा है तो ऐसे में मुझे मुराद विल्फ्रेड हॉफमैन की याद आ गयी जो NATO के इन्फॉर्मेशन डायरेक्टर रह चुके थे, और इस्लाम क़बूल किया था, वो जर्मन मूल के थे उनकी पैदाइश जर्मनी के असचाफनबर्ग शहर में 1931 में एक कैथोलिक परिवार में हुई
ये कई मुल्कों में जर्मनी के राजदूत रहे, 1980 में इन्होंने इस्लाम क़बूल किया,
इन्होंने इस्लाम क़बूल करने का तीन मुख्य कारण बताया था
पहला कारण था, अल्जीरिया के स्वतंत्रता सेनानी, उन्हें अल्जीरिया के स्वतंत्रता सेनानियों के उच्च नैतिक आदर्शों ने बहुत प्रभावित किया और उन्होंने इन आदर्शों का कारण ढूंढना शुरू किया और पाया के इस्लाम उनके आदर्शों का स्रोत है
दूसरा कारण था, Islamic Art and Culture (इस्लामी आर्ट और कल्चर) जिसमे इन्होंने दुनिया भर और खासकर यूरोप में फैले हुए इस्लामिक आर्ट का बड़े स्तर पर मुआयना भी किया, और उससे प्रभावित हुए
तीसरा कारण था, Philosophy (फ़लसफ़ा)
इसमें उनको एक तरफ तो अल्जीरिया के स्वतंत्रता सेनानियों के उच्च नैतिक आदर्शों का पता चला तो दुसरी तरफ हर हाल में कैसे खुश रहा जाए इसकी भी समझदारी पैदा हुई
मुराद हॉफमैन साहेब सेंट्रल कौंसिल ऑफ मुस्लिम इन जर्मनी के एज़ाज़ी मेंबर और सलाहकार भी थे
13 जनवरी 2020 को मुराद हॉफमैन का इंतेक़ाल जर्मनी के बॉन शहर में हो गया, बॉन शहर किसी ज़माने में वेस्ट जर्मनी का कैपिटल हुआ करता था
इन्होंने जर्मन और दूसरी भाषाओं में कई किताबें लिखी जो अतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुईं, जिसमे से कुछ का नाम नीचे दिया गया है
1)"Of Beauty and the dance"
2)Ein philosophischer Weg zum Islam
( A philosophical journey towards Islam)
3) "Journey to Makkah"
4) Is NATO's defence policy facing a crisis? in : Non-Nuclear War in Europe
5) Tagesbuch eines deutschen Muslims (Diary of a German Muslim)
सोवियत संघ रूस के पतन के बाद फ्रांसिस फुकुयामा ने एक किताब लिखी थी end of history तब उस किताब के जवाब में मुराद हॉफमैन ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम है Der Islam als Alternative ( Islam the alternative )
इन्होंने और भी कई सारी किताबे लिखी
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