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इतिमाद-उद-दौला का मकबरा, जिसे कभी-कभी "बेबी ताज" के नाम से भी जाना जाता है, वो मुग़ल साम्राज्य का एक नायाब रत्न है। ये शानदार मकबरा आगरा, भारत में स्थित है। 1622 से 1628 के बीच बनकर तैयार हुआ ये मकबरा अपनी खूबसूरत सफेद संगमरमर की जाली और उस पर की गई जटिल जड़ावट के लिए मशहूर है। ताजमहल के उलट, इसमें एक चपटी छत है जिसके बीच में एक चौकोर कमरा है और गुम्बद नहीं है। 

ये मकबरा मुग़ल बादशाह जहांगीर की बीवी नूरजहां ने अपने पिता, मीरजा गियास बेग की याद में बनवाया था। मीरजा गियास बेग मुगल साम्राज्य के एक ऊँचे ओहदे वाले अफसर थे। इस मकबरे की खासियत इसकी रंग-बिरंगी सजावट है। कीमती और अर्द्ध-कीमती पत्थरों को काटकर बाहर की दीवारों पर फूलों की आकृतियां, ज्यामितीय आकृतियां और इस्लामिक कला की अरबीस्क शैली के नक्श उकेरे गए हैं। अंदरूनी हिस्सा भी इसी तरह की शानदार सजावट से सजा हुआ है, जिसमें फूलों के बेहतरीन नमूने शामिल हैं।

मीरजा गियास बेग का पारिवारिक संबंध भी काफी दिलचस्प है। उनकी बेटी, मेहरूनिशा (जिन्हें बाद में नूरजहां के नाम से जाना जाता था), बादशाह जहांगीर की बेगम बनीं और मुगल साम्राज्य में काफी दबदबा रखती थीं। उनके बेटे, आसफ खान, जहांगीर के सेनापति थे और बाद में शाहजहाँ के वज़ीर बने। आसफ खान की बेटी, मुमताज महल, शाहजहाँ की पत्नी बनीं और उनके लिए ही ताजमहल बनवाया गया। इस तरह, इतिमाद-उद-दौला का मकबरा न केवल अपनी खूबसूरती के लिए बल्कि मुगल वंश के इतिहास और उस दौर की कला के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्मारक है। 
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