दिल्ली नेशनल म्यूज़ियम में रखा मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब का कवच जिसे दमिश्क स्टील से बनाया गया था, जो हर तरह के हथियार का वार झेलने में सक्षम था। कवच के नीचे पहली लाइन में "ला-इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसूल अल्लाह" दूसरे लाइन में "शहंशाह औरंगजेब आलमगीर" लिखा हुआ है।
विदित हो कि दमिश्क स्टील की तकनीक खो चुकी है क्योंकि इसके सारे कारीगर मारे जा चुके है। दमिश्क स्टील से बनी तलवार जब दूसरी तलवारों से टकराती थी तो दूसरी तलवारों में क्रैक पड़ना शुरू हो जाता था।
इसी तरह एक और तकनीक थी ग्रीक फायर, ग्रीक फायर एक ऐसे तेल से जली आग होती थी जो पानी में भी जलती थी और उसपर जितना पानी डालो बेअसर रहती थी। एक बार सहाबा की फौज जब इस्तांबुल ( तब का कुस्तुनतुनिया) पर चढ़ाई करने गए तो इसी ग्रीक फायर की वजह से पीछे हटना पड़ा। इससे यह भी पता चला कि तकनीक की हर ज़माने में कदर बहुत ज्यादा की जानी चाहिए।
मुगल भी भारत में बारूद की वजह से फातेह थे और स्पेन में भी तकनीन की वजह से जीते और बाद में हारे।
आज ग्रीक फायर के ऑल्टरर्नेटिव है मगर वही ग्रीक फायर शायद अब खो चुकी है। हम सभी को तकनीक पर बहुत काम करना चाहिए।
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