DilipKumar & kadar Khan discuss


 "मैं यूसुफ ख़ान बोल रहा हूं।" उस दिन कादर खान को फोन करने वाला बोला। "कौन यूसुफ ख़ान?" कादर खान ने पूछा। उधर से आवाज़ आई,"वही जिसे दुनिया दिलीप कुमार के नाम से जानती है।" दिलीप कुमार का नाम सुनकर कादर खान दंग रह गए। फोन उनके हाथों से गिरते-गिरते बचा। लेकिन आपके दिमाग में सवाल उठ सकता है कि दिलीप कुमार ने कादर खान को फोन क्यों किया होगा? और कादर खान भला उन्हें कैसे नहीं पहचान सके होंगे? तो ये कहानी पूरी तरह से समझने के लिए कहानी में और थोड़ा सा पीछे चलते हैं। ज़्यादा नहीं, सिर्फ दो दिन पीछे।


कादर खान उस वक्त तक सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन कर चुके थे। वो साथ ही साथ नाटकों में भी काम किया करते थे। हालांकि ये उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वो फिल्मों में आ जाएंगे। ये तो उनकी किस्मत थी जो उन्हें फिल्मी दुनिया में खींच लाई। कादर साहब उन दिनों ताश के पत्ते नामक एक नाटक में काम कर रहे थे। इत्तेफाक से गुज़रे ज़माने के नामी कॉमेडियन आग़ा एक दिन वो नाटक देखने आए। उन्हें वो नाटक बहुत अच्छा लगा। कादर खान की एक्टिंग भी उन्हें पसंद आई थी। 


आग़ा साहब उस वक्त कादर खान से और ज़्यादा प्रभावित हुए जब उन्हें मालूम हुआ कि ये नाटक कादर खान ने ही लिखा व डायरेक्ट किया है। फि आग़ा जब दिलीप कुमार से मिले तो उन्होंने कादर का ज़िक्र उनके सामने भी किया। आग़ा के इतना तारीफ करने पर दिलीप साहब भी कादर खान से मिलने को उत्सुक हो गए। और इसीलिए उन्होंने उस दिन कादर खान को फोन किया था जब कादर खान उन्हें उनके असली नाम यूसुफ ख़ान से नहीं पहचान पाए थे। मगर जब कादर साहब को पता चला कि फोन करने वाले यूसुफ खान ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमार हैं तो पहले तो उन्हें झटका लगा। और फिर किसी तरह खुद को संभालते हुए उन्होंने दिलीप कुमार से बात की। उन्होंने दिलीप कुमार को अपना वही नाटक देखने आमंत्रित किया।


दिलीप कुमार उनके बुलावे पर नाटक देखने पहुंचे भी। उन्हें भी कादर खान का वो नाटक बड़ा पसंद आया था। जब वो स्टेज पर आए तो बोले,"मैं किस्मत वाला हूं कि मुझे कादर खान ने ये नाटक देखने के लिए बुलाया। मुझे तो पता ही नहीं था कि हमारे यहां इतने अच्छे-अच्छे स्टेज आर्टिस्ट हैं। इन सभी को फिल्म इंडस्ट्री में ब्रेक मिलना चाहिए। लेकिन फिलहाल मैं कादर खान को अपनी अगली फिल्म सगीना महतो में एक रोल देने का ऐलान कर रहा हूं। शूटिंग कल से शुरू हो रही है। एक सप्ताह बाद मेरी एक और फिल्म बैराग की शूटिंग शुरू होने वाली है। मैं उसमें भी कादर खान को एक बढ़िया रोल दूंगा।" और इस तरह कादर खान का फिल्मी करियर शुरू हो गया।


चूंकि दिलीप कुमार बहुत कम फिल्मों में काम किया करते थे तो शुरुआत में कादर खान ने भी काफी कम फिल्मों में काम किया। फिल्मों में काम करने के साथ-साथ कादर खान टीचिंग भी कर रहे थे। वो मुंबई के बायकुला में स्थित एम एच साबू सिद्दिकी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ाया करते थे। कादर खान नाटकों की दुनिया में कैसे आए थे इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दुर्भाग्यवश वो कहानी बहुत अधिक लोगों तक नहीं पहुंच सकी। जबकी वो कहानी बड़ी शानदार है। मैं उस कहानी का लिंक यहां साझा कर रहा हूं-- https://t.ly/j61CV ये उस कहानी का फेसबुक लिंक है। उस कहानी को भी ज़रूर पढ़िए और कमेंट करके बताइए कि आपको ये कहानी और वो कहानी कैसी लगी। कादर खान और दिलीप कुमार जी को किस्सा टीवी का नमन। #KaderKhan #

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